सऊदी पानी पर कितना खर्च करता है
सऊदी में मीठे पानी की विकराल समस्या है. सबसे पहले सऊदी में भूमिगत जल
का इस्तेमाल किया गया लेकिन ये नाकाफ़ी साबित हुआ. सऊदी ही नहीं बल्कि पूरे
मध्य-पूर्व में पानी बहुत क़ीमती है. पानी की कमी के कारण ही सऊदी ने गेहूं की खेती शुरू की थी उसे बंद करना पड़ा.
सऊदी को अपने भविष्य को लेकर डर सताता है. 2010 में विकीलीक्स ने अमरीका के एक गोपनीय दस्तावेज़ को सामने लाया था, जिसमें बताया गया था कि किंग अब्दुल्ला ने सऊदी की फूड कंपनियों से विदेशों में ज़मीन ख़रीदने के लिए कहा है ताकि वहां से पानी मिल सके. विकीलीक्स के केबल के अनुसार सऊदी पानी और खाद्य सुरक्षा को लेकर इस तरह से सोच रहा है ताकि राजनीतिक अस्थिरता से बचा जा सके.
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अभी अपनी जीडीपी का दो फ़ीसदी पानी की सब्सिडी पर खर्च करता है. इसी रिपोर्ट का कहना है कि 2050 तक मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के देशों को अपनी जीडीपी का छह से 14 फ़ीसदी पानी पर खर्च करना होगा.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका में दुनिया की 6 फ़ीसदी आबादी है और दो फ़ीसदी से भी कम वैसा पानी है जिसके इस्तेमाल के बाद भारपाई की जा सके. यह इलाक़ा दुनिया का सबसे भयावह सूखाग्रस्त इलाक़ा है.
ये देश हैं- अल्जीरिया, बहरीन, कुवैत, जॉर्डन, लीबिया, ओमान, फ़लस्तीनी क्षेत्र, क़तर, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन. इन देशों में औसत पानी 1,200 क्यूबिक मीटर है जो कि बाक़ी के दुनिया के औसत पानी 7,000 क्यूबिक मीटर से छह गुना कम है.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के ज़्यादातर देश पानी की मांग पूरी करने में ख़ुद को अक्षम पा रहे हैं. विश्व बैंक के मुताबिक़ 2050 तक इन देशों में पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता आधी हो जाएगी.
विश्व बैंक की स्टडी के अनुसार इन इलाक़ों में मीठा पानी डेड सी के जितना ख़त्म हो चुका है. कहा जा रहा है कि यह अपने-आप में रिकॉर्ड है. गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल के देशों में पानी के इस्तेमाल के बाद की भारपाई और मांग में गैप लगातार बढ़ता जा रहा है.
बहरीन अपने उपलब्ध नवीनीकरण पानी के भंडार से 220 फ़ीसदी ज़्यादा इस्तेमाल कर चुका है. सऊदी अरब 943% और कुवैत 2,465% ज़्यादा इस्तेमाल कर चुका है. पिछले 30 सालों में यूएई में प्रति वर्ष वाटर टेबल में एक मीटर की गिरावट आई है. विश्व बैंक का अनुमान है कि अगले 50 सालों में यूएई में मीठे पानी के स्रोत ख़त्म हो जाएंगे.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के देशों का 83 फ़ीसदी पानी कृषि क्षेत्र में चला जाता है. सऊदी में 1980 के दशक से अब तक कृषि में ग्राउंड वाटर का दो तिहाई इस्तेमाल हो चुका है. सऊदी अरब में पानी का स्रोत भूमिगत जल ही है क्योंकि यहां एक भी नदी नहीं है.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अमरीका में दुनिया का एक फ़ीसदी ही मीठा पानी है. ये इलाक़े अपने रेगिस्तान और बारिश नहीं होने के लिए जाने जाते हैं. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट का कहना है कि ये देश अपनी क्षमता से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. सऊदी अरब भी उन्हीं देशों में से एक है.
सऊदी ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन बारिश नहीं होने की वजह से निकाले गए ग्राउंड वाटर की भारपाई नहीं हो रही है.
सऊदी को अपने भविष्य को लेकर डर सताता है. 2010 में विकीलीक्स ने अमरीका के एक गोपनीय दस्तावेज़ को सामने लाया था, जिसमें बताया गया था कि किंग अब्दुल्ला ने सऊदी की फूड कंपनियों से विदेशों में ज़मीन ख़रीदने के लिए कहा है ताकि वहां से पानी मिल सके. विकीलीक्स के केबल के अनुसार सऊदी पानी और खाद्य सुरक्षा को लेकर इस तरह से सोच रहा है ताकि राजनीतिक अस्थिरता से बचा जा सके.
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अभी अपनी जीडीपी का दो फ़ीसदी पानी की सब्सिडी पर खर्च करता है. इसी रिपोर्ट का कहना है कि 2050 तक मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के देशों को अपनी जीडीपी का छह से 14 फ़ीसदी पानी पर खर्च करना होगा.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका में दुनिया की 6 फ़ीसदी आबादी है और दो फ़ीसदी से भी कम वैसा पानी है जिसके इस्तेमाल के बाद भारपाई की जा सके. यह इलाक़ा दुनिया का सबसे भयावह सूखाग्रस्त इलाक़ा है.
ये देश हैं- अल्जीरिया, बहरीन, कुवैत, जॉर्डन, लीबिया, ओमान, फ़लस्तीनी क्षेत्र, क़तर, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन. इन देशों में औसत पानी 1,200 क्यूबिक मीटर है जो कि बाक़ी के दुनिया के औसत पानी 7,000 क्यूबिक मीटर से छह गुना कम है.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के ज़्यादातर देश पानी की मांग पूरी करने में ख़ुद को अक्षम पा रहे हैं. विश्व बैंक के मुताबिक़ 2050 तक इन देशों में पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता आधी हो जाएगी.
विश्व बैंक की स्टडी के अनुसार इन इलाक़ों में मीठा पानी डेड सी के जितना ख़त्म हो चुका है. कहा जा रहा है कि यह अपने-आप में रिकॉर्ड है. गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल के देशों में पानी के इस्तेमाल के बाद की भारपाई और मांग में गैप लगातार बढ़ता जा रहा है.
बहरीन अपने उपलब्ध नवीनीकरण पानी के भंडार से 220 फ़ीसदी ज़्यादा इस्तेमाल कर चुका है. सऊदी अरब 943% और कुवैत 2,465% ज़्यादा इस्तेमाल कर चुका है. पिछले 30 सालों में यूएई में प्रति वर्ष वाटर टेबल में एक मीटर की गिरावट आई है. विश्व बैंक का अनुमान है कि अगले 50 सालों में यूएई में मीठे पानी के स्रोत ख़त्म हो जाएंगे.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के देशों का 83 फ़ीसदी पानी कृषि क्षेत्र में चला जाता है. सऊदी में 1980 के दशक से अब तक कृषि में ग्राउंड वाटर का दो तिहाई इस्तेमाल हो चुका है. सऊदी अरब में पानी का स्रोत भूमिगत जल ही है क्योंकि यहां एक भी नदी नहीं है.
मध्य-पूर्व और उत्तरी अमरीका में दुनिया का एक फ़ीसदी ही मीठा पानी है. ये इलाक़े अपने रेगिस्तान और बारिश नहीं होने के लिए जाने जाते हैं. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट का कहना है कि ये देश अपनी क्षमता से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. सऊदी अरब भी उन्हीं देशों में से एक है.
सऊदी ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन बारिश नहीं होने की वजह से निकाले गए ग्राउंड वाटर की भारपाई नहीं हो रही है.
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